सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Diseases in Hindi बीमारियां

Diseases in Hindi बीमारियां


bacteria
NIAID, CC BY 2.0, via Wikimedia Commons

गैर-संक्रामक बीमारियां (Non Communicable Diseases) - गैर-संक्रामक बीमारियां को क्रोनिक रोग भी कहते है। यह संक्रामक वाहको द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पास नहीं होता है।
उदाहरण के लिए मधुमेह, अल्जाइमर, कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, स्ट्रोक, और हृदय रोग

संक्रामक बीमारियां (Communicable Diseases) - संक्रामक रोग सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी (Parasites) और कवक (Fungi) के कारण होते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फैल सकते हैं। कुछ कीड़े काटने के माध्यम से प्रेषित होते हैं, जबकि अन्य दूषित भोजन या पानी के कारण होते हैं।
उदाहरण के लिए हैजा, कुष्ठ, क्षय रोग, एचआईवी / एड्स, इन्फ्लुएंजा


क्रोनिक रोग (Chronic disease) – यह बीमारी लम्बे समय तक रहती है और अपना असर कई चरणों में दिखाते है ।
उदाहरण के लिए कैंसर, हृदय रोग, किडनी रोग, तपेदिक, गठिया, मधुमेह, आदि ।


एक्यूट रोग (Acute disease) – यह रोग तेजी से शुरू होती है और थोड़े समय के लिए रहती है। इस बीमारी के लक्षण भी तीव्र होते है।
उदाहरण के लिए जुकाम, इन्फ्लूएंजा, हैजा, टाइफाइड, गले में खराश, खांसी आदि ।

संक्रामक रोग के कारण और रोकथाम

  • जीवाणु (Bacteria) – जीवाणु एक कोशिकीय जीव है। जिसके वजह से गले में दिक्कत, मूत्र पथ में संक्रमण और तपेदिक जैसे रोगों होते है ।
रोग - निमोनिया , क्षय रोग (TB), हैजा (cholera) , मेनिनजाइटिस, अल्सर, टाइफाइड, टिटनेस, काली खांसी (whooping Cough), डिप्थीरिया, कुष्ठरोग (leprosy), प्लेग

  • विषाणु (Viruses) – विषाणु जीवाणु की तुलना में छोटे होते है और कोशिका के भीतर आते ही यह सक्रिय हो जाते है। इनसे होने वाले रोग आम सर्दी से लेकर एड्स तक हो सकते है।
रोग - एचआईवी / एड्स, चेचक ( smallpox), छोटी माता (chickenpox), इबोला, खसरा (measles) , गलसुआ (mumps) , रेबीज, डेंगू बुखार
  • कवक (Fungi) - कवक कई सूक्ष्मजीवो का एक समूह है जिसके वजह से कई चर्म रोग,दाद और एथलीट फुट जैसे रोग हो सकते है। कवक फेफड़ों और तंत्रिका तंत्र को भी संक्रमित कर सकते हैं।
  • परजीवी (Protozoa) – परजीव एक ऐसा जीव है जो दूसरे जीव में रहता है। उदाहरण के लिए मलेरिया रोग एक छोटे परजीवी के कारण होता है जो मच्छर के काटने से फैलता है। अन्य परजीव जानवरों में जानवरों के मल से प्रेषित होता है ।
रोग – टेपवर्म, पिनवॉर्म, हाथी पाव(फाइलेरिया)
  • सीधा संपर्क – जब कोई असंक्रमित व्यक्ति या जानवर किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आता है तो उसके भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। संक्रामक रोग तीन प्रकार से सीधे संपर्क से फैल सकते हैं:

    1. व्यक्ति से व्यक्ति
    2. पशु से व्यक्ति
    3. अजन्मे बच्चे को माँ से
  • अप्रत्यक्ष संपर्क – कई अजीवित चीजों पर कई रोगाणु पाए जा सकते हैं जैसे कि मेज के ऊपरी हिस्से में, नल हैंडल में, दरवाज़े में, आदि पर. जब आप फ्लू या सर्दी से पीड़ित किसी व्यक्ति द्वारा पहले से ही छूऐ हैंडल या दरवाज़े को छूते हैं तो आप उस कीटाणु के संपर्क में आजाते है जिसे उसने पीछे छोड़ दिया है। और यदि आप अपने हाथ धोने से पहले अपनी आँखें, मुँह या नाक को छूते हैं, तो आप संक्रमित हो सकते हैं।
  • कीड़े का काटना - कुछ रोगाणु कीट वाहक पर निर्भर करते हैं - जैसे मच्छर, पिस्सू, जूँ या टिक। मच्छर मलेरिया परजीवी का वाहक है, हिरण टिक ऐसे जीवाणु के वाहक है जिसके वजह से लसीका रोग होता है।
  • खाद्य संदूषण – संक्रमण दूषित भोजन और पानी से भी हो सकता है। उदाहरण के लिए ई-कोलाई एक ऐसा जीवाणु है जो कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है - जैसे हैमबर्गर या अनपेस्टुराइज़्ड फलों के रस में ।

संक्रामक एजेंट आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं

  • वायुजनित कीटाणुओं के साँस में आने से।
  • टिक या मच्छर काटने से।
  • यौन संपर्क से।
  • दूषित भोजन या पानी का सेवन से।
  • त्वचा के संपर्क या चोट से।

बचाव

  • अपने हाथ धो लो
  • टीका लगवाएं
  • बीमार होने पर घर पर रहें
  • भोजन सुरक्षित रूप से तैयार करें
  • सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करें
  • समझदारी से यात्रा करें-यदि आप देश से बाहर जा रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से किसी विशेष टीकाकरण के बारे में बात करें - जैसे कि पीला बुखार, हैजा, हेपेटाइटिस ए या बी या टाइफाइड बुखार

आनुवांशिक बीमारी के कारण और रोकथाम

कारण

जेनेटिक डिसऑर्डर बीमारी किसी व्यक्ति के डीएनए के परिवर्तन के कारण होती है। विभिन्न प्रकार के आनुवंशिक विकार इस प्रकार है जैसे एकल-जीन विकार, बहुक्रियाशील विकार, गुणसूत्र संबंधी विकार और माइटोकॉन्ड्रियल विकार ।

  • एकल-जीन विकार (Single gene genetic disorder) - सिंगल जीन विकार को मेंडेलियन या मोनोजेनेटिक इनहेरिटेंस भी कहा जाता है। यह एकल जीन के डीएनए अनुक्रम में उत्परिवर्तन (mutation) के कारण होता है उदाहरण के लिए सिकल सेल एनीमिया ।
  • बहुक्रियाशील विकार (Multifactorial genetic disorder) - बहुक्रियाशील विकार को जटिल या पॉलीजेनिक इनहेरिटेंस भी कहा जाता है। यह कई जीनों में उत्परिवर्तन के कारण होता है उदाहरण के लिए स्तन कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अल्जाइमर रोग, मधुमेह, कैंसर, मोटापा।
  • गुणसूत्र संबंधी विकार (Chromosome disorder) - क्रोमोसोम, डीएनए और प्रोटीन विभिन्न संरचनाओं में प्रत्येक कोशिका के केंद्रक में स्थित होते हैं। क्योंकि गुणसूत्र आनुवंशिक सामग्री के वाहक होते हैं, इसलिए गुणसूत्र संख्या या संरचना में असामान्यताएं बीमारी का कारण बन सकते हैं। गुणसूत्रों में असामान्यताएं आमतौर पर कोशिका विभाजन की समस्या के कारण होती हैं। जब किसी व्यक्ति में क्रोमोसोम 21 की तीन प्रतियां होती हैं हो उसे डाउन सिंड्रोम या ट्राइसॉमी 21 होता है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल विकार - माइटोकॉन्ड्रिया छोटे गोलाकार या रॉड जैसे होते हैं जो पौधों और जानवरों की कोशिकाओं के कोशिका झिल्ली में पाए जाते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का 'शक्ति गृह' (पावर हाउस) भी कहा जाता है। माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए हमेशा महिला से ही इन्हेरिट किया जाता है । माइटोकॉन्ड्रिया डीएनए में उत्परिवर्तन के कारण जेनेटिक डिसऑर्डर बीमारी होती है । उदाहरण के लिए Leber's congenital amaurosis (LCA) एक आंख की बीमारी है।

रोकथाम

  • आनुवंशिक परामर्श - बच्चों में आनुवंशिक विकारों के जोखिमों के बारे में भावी माता-पिता को सलाह देना।
  • जेनेटिक स्क्रीनिंग और परीक्षण , कैरियर स्क्रीनिंग, नवजात की जांच, प्रसव पूर्व निदान और चयनात्मक गर्भपात।
  • शिक्षा 
  • विवाह पूर्व परामर्श 
  • पूर्व-कार्यान्वयन आनुवंशिक निदान 
  • आनुवांशिक बीमारी का इलाज 
  • जीन थेरेपी 
  • जैव प्रौद्योगिकी क्षतिग्रस्त जीनों को नए सामान्य जीनों से बदलने में मदद करता है।

जीवन शैली

आज के जीवन शैली में आमतौर पर शराब, ड्रग्स और धूम्रपान के साथ-साथ शारीरिक गतिविधि में कमी और अस्वास्थ्यवर्धक भोजन के कारण जीवन शैली की बीमारियों में तेजी आ गई है जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा और टाइप II मधुमेह । बीमारियां जो अधिक तेजी से बढ़ रही है जैसे अल्जाइमर रोग, गठिया, एथेरोस्क्लेरोसिस, अस्थमा, कैंसर, पुरानी यकृत इसमें शामिल है।


Nano Science 
  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Water Cycle in Hindi जल चक्र

Water Cycle in Hindi जल चक्र The Odd Git , Public domain, via Wikimedia Commons सूर्य की ऊर्जा के कारण सागर , महासागर , नदी , झील आदि का जल जलवाष्प में परिवर्तित होता है और वर्षा के जरिए पृथ्वी की सतह पर वापस आता है और पुनः नदियों द्वारा महासागरों में पहुँचाया जाता है जिसे जल चक्र कहा जाता है। वाष्पीकरण (Evaporation)  : समुद्र , झीलों , नदियों आदि से पानी का वाष्पीकरण होता है। वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)  : पौधों के पत्तियों से पानी को बाहर निकलना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है । संघनन (Condensation)  : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जल वाष्प को वापस द्रव में परिवर्तित किया जाता है , संघनन कहलाता है। वायुमंडल में जल बादलों के रूप में संघनित होता है। वर्षण (Precipitation) : जल को वर्षा , बर्फ या ओले के रूप में पृथ्वी को वापस लौटना वर्षण कहलाता है। अंतःस्यंदन (Infiltration) : जिस प्रक्रिया से पानी को जमीन में अवशोषित किया जाता है उसे अंतःस्यंदन कहा जाता है। पृथ्

Digestive System in Hindi पाचन तंत्र

Digestive System in Hindi पाचन तंत्र कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या खाते हैं, जो कुछ भी आपके मुंह में जाता है वह आपके शरीर के पाचन तंत्र द्वारा संसाधित होता है। पाचन तंत्र के भीतर तीन मुख्य प्रक्रियाएं होती हैं: पाचन (digestion), अवशोषण (absorption) और उन्मूलन (eradication) । BruceBlaus , CC BY-SA 4.0 , via Wikimedia Commons पाचन भोजन का तोड़ता है और पोषक तत्वों को शरीर की कोशिकाओं द्वारा  अवशोषित करता है। अवशोषण एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा शरीर के सभी अंगों को रक्त के माध्यम से पोषक तत्व मिलते हैं। उन्मूलन  द्वारा शरीर के सभी अपचनीय तत्व बाहर आते है । यह प्रक्रिया पाचन क्रिया में होती है। पाचन तंत्र भोजन को पचाने में मदद करता है और पाचन के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायनों का उत्पादन करता है। ईसॉफ़ॅगॅस (भोजन-नलिका, Esophagus ) और पेट (Stomach) जैसे ही आप अपने मुंह में भोजन डालते हैं, पाचन शुरू हो जाता है। चबाने से भोजन छोटे टुकड़ों में टूट जाता है और आपके लार में एंजाइम रासायनिक रूप से भोजन को तोड़ने में मदद करता है। पाचन तंत्र की चिकनी मांसपेशी पाचन तंत्र क

Carbon Cycle in Hindi कार्बन चक्र

Carbon Cycle in Hindi कार्बन चक्र   कार्बन हमारे वातावरण में कई रूप में पाया जाता है यह अपने मूल रूप में हीरा और ग्रेफाइट में पाया जाता है । वायुमंडल में यह मुख्य रूप से CO2 ( कार्बन डाइऑक्साइड ) के रूप में पाया जाता है खनिजों में कार्बोनेट और   हाइड्रोजन कार्बोनेट के रूप में पाया जाता है। सभी जीव मुख्य रूप से कार्बन के बने हुए होते है। Bvelevski , CC BY-SA 4.0 , via Wikimedia Commons   कार्बन चक्र के माध्यम पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण ( Photosynthesis ) द्वारा वायुमंडल से   CO 2 को अवशोषित करके ग्लूकोस अणु बनाते है । जीवित प्राणी ऊर्जा प्राप्ति के लिए पेड़ पौधे द्वारा बनाये गए उत्पादको  ( ग्लूकोस ) का उपभोग करते हैं और इन उत्पादको   के भीतर संग्रहीत कार्बन का अधिग्रहण करते हैं। जीवों के श्वसन प्रणाली द्वारा   CO 2 वायुमंडल में वापस चले जाता है । अपघटक ( Decomposer ) मृत और सड़ने वाले जीवों को तोड़ते हैं और CO 2 को वायुमंडल में छोड़ते है । सभी जीवो का