Nano Science in Hindi नैनो विज्ञान
नैनो विज्ञान - नैनो विज्ञान सूक्ष्मता के मापन और अनुप्रयोग (application) पर आधारित होता है ।
- प्रथम अनुप्रयोग का श्रेय रोम को जाता है जहाँ शीशे के रंग बिरंगे प्याले बनाये जाते थे, रंगहीन शीशे में रंग भरने के लिए सोने और चाँदी के नैनो कणो का प्रयोग किया जाता था ।
- कागज भी नैनो विज्ञान का एक अन्य अनुप्रयोग है ।
- हम लोग नगन आँखों से केवल 40-50 माइक्रॉन तक ही देख सकते है ।
नैनो विज्ञान का तकनीकी पक्ष
- आज के युग को सिलिकन युग कहा जाता है ।
- सिलिकन एक अर्धचालक होता है।
- इलेक्ट्रॉनिक परिपथो में इनका प्रयोग किया जाता है । उदहारण के लिए मोबाइल चिप ।
- वर्तमान में एक इलेक्ट्रॉनिक चिप पर करीब 10 लाख सिलिकन यंत्र होते है और प्रत्येक यंत्र का आकार लगभग 500 nm होता है
- नैनो विज्ञान के कारण इस युग में हमे सूचना क्रांति देखने को मिली है ।
अर्धचालक विकास के कुछ नियम
आकार छोटा करना, वेग तीव्रतम करना, कार्य क्षमता बढ़ाना, मूल्य कम करना, तापमान ठंडा करना, दीर्घकालीन बनाना
नैनोतकनीक एवं नैनोप्रोधोगिकी
नैनोतकनीक नैनो विज्ञान पर आधारित है । नैनोतकनीक 1 से 100 नैनो (10−9) स्केल में प्रयुक्त और अध्यन किए जाने वाले सभी तकनीक
और सम्बंधित विज्ञान का समूह है ।
नैनोतकनीक में दो प्रमुख पद्धतियों को अपनाया गया है
- सभी पदार्थ और उपकरण आणुविक घटकों से बनाये जाते है । जो अणुओं के आणुविक अभिज्ञान के द्वारा स्व - एकत्रण के रसायनिक सिद्धांतो पर आधारित है ।
- नैनो वस्तुओ का निर्माण बिना अणु सतह पर नियंत्रण के बड़े सत्त्वों से किया जाता है ।
नैनो का अर्थ ऐसे प्रदार्थ से है जो अति सूक्ष्म आकर वाले तत्वों (मीटर के अरबो
हिस्से) (1 / 109m) से बने होते है । नैनो
टेक्नोलॉजी अणुओं व परमाणुओं की इंजीनियरिंग है , जो भौतिक , रासायनिक , बायो इंफॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयो को आपस में जोड़ती है ।
नैनो विज्ञान के अनुप्रयोग
- विनिर्माण ,बायो साइंस, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक व रक्षा क्षेत्र में इनका बहुत बड़ा योगदान है ।
- नैनो विज्ञान अति सूक्ष्म मशीने बनाने का विज्ञान है । यह मशीने इंसान की धमनियों में घुस कर उन्हें रोग मुक्त कर रही है ।
भारत में नैनो विज्ञान व तकनीकी मिशन (नैनो मिशन) मई 2007 में लॉन्च किया गया था ।
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