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Human Reproductive System in Hindi मानव प्रजनन

Human Reproductive System in Hindi मानव प्रजनन


मानव द्वारा संतान उत्पन करने की प्रक्रिया को मानव प्रजनन क्रिया कहते है।

मानव प्रजनन तंत्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन ( Testosterone ) और प्रोजेस्टेरोन  ( Progesterone ) हैं।

प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन ( Estrogen ) महिलाओं में पाए जाते है वहीं टेस्टोस्टेरोन पुरुषो में पाए जाते है।

पुरुष प्रजनन तंत्र:


Male Reproductive System
Rajendra prabhune, CC BY-SA 4.0, via Wikimedia Commons

  • वृषण (Testes): पुरुषो में दो वृषण होते हैं जो अंडकोश (scrotum) में पाए जाते है । अंडकोश एक थैली की तरह होता है जो श्रोणि गुहा (pelvic cavity) के बाहर स्थित होता है। 
  • शुक्राणु वाहिनी (Sperm Duct): ये पतली नलिकाएं हैं जो वृषण से प्रारम्भ होते हैं। 
  • प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostrate Gland): यह ग्रंथि अपने स्त्राव को शुक्राणु वाहिनी में वृषण के वीर्य द्रव के साथ डालती है। 
  • मूत्रमार्ग (Urethra):पुरुषों में वीर्य द्रव और मूत्र के लिए एक सामान्य मार्ग होता है । पुरुषों में ये अधिक लम्बा और महिलाओं में यह छोटा होता है। 
  • लिंग (Penis): यह अंग पुरुषों के शरीर के बाहर होता है जो मूत्र और वीर्य दोनों को बाहर निकालने का काम करता है। 

शुक्राणुजनन (spermatogenesis): वृषण नर युग्मक (gamete) का निर्माण करता है जिसे शुक्राणु (sperm) कहते है और इस प्रक्रिया को शुक्राणुजनन कहते है । यह वृषण के वीर्य नलिकाओं में होता है। वृषण पुरुषो में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का भी निर्माण करते है।

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन न केवल पुरुषो के प्रजनन में मदद करता है बल्कि यौवन के दौरान आवाज, चेहरे और जघन बालों के लिए भी जिम्मेदार है।

मादा प्रजनन तंत्र:


Female Reproductive System
Rajendra prabhune, CC BY-SA 4.0, via Wikimedia Commons
 
 मादा प्रजनन प्रणाली पूरी तरह से श्रोणि गुहा के भीतर होती है।

  • अंडाशय (Ovaries):यह मादा युग्मक (gamete) या अंडे का निर्माण करते है। हर महीने एक अंड परिपक्व होता है । अंडोत्सर्ग अंडाशय में से बारी बारी से अंडा निर्माण करने की प्रक्रिया है। 
  • फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes): इसे अंडवाहिनी (oviducts) भी कहते है । यह ट्यूब अंडाशय से शुरू होते हैं और गर्भाशय बुध्न (uterine fundus) में समाप्त होते हैं। पुरुषो के शुक्राणु के साथ निषेचन होने के बाद यह निषेचित अंड को गर्भाशय तक पहुँचता है। 
  • गर्भाशय (Uterus): यह अंग श्रोणि गुहा में मौजूद होता है जो मासिक धर्म (menstrual cycle), निषेचन (fertilization) और भ्रूण (fetus) के विकास के दौरान कार्य करते है। 
  • गर्भाशय ग्रीवा (Cervix): यह गोलाकार मांसपेशी वलय की तरह होती है जो गर्भाशय के निचले छोर पर मौजूद होती है। बच्चो के जन्म के दौरान यह फैल जाती है। 
  • योनि (Vagina):यह शरीर से बाहर एक मांसपेशीय ट्यूब जैसी संरचना की होती है जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले सिरे पर मौजूद होती है यह पुरुषो से शुक्राणुओं को इकट्ठा करने के लिए इस्तमाल होती है। 
  • मूत्रमार्ग (Urethra): महिलाओं में मूत्रमार्ग केवल मूत्र पारित करने के लिए काम करता है । 
  • ओजोनसिस (Oogenesis): एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन दोनों के प्रभाव से अंडे का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया को ओजोनसिस कहते है। 

निषेचन प्रक्रिया


एक बार जब शुक्राणु योनि में जमा हो जाता है, तो उन्हें अंडे तक पहुंचने के लिए ऊपर की तरफ जाना होता है। अंडे और शुक्राणु दोनों निषेचित होते हैं और द्विगुणित युग्मज (diploid zygote) बनाते हैं।

प्रत्येक माता-पिता प्रारंभिक निषेचन में 23 गुणसूत्र (chromosomes) प्रदान करते हैं। इस प्रकार, युग्मज में गुणसूत्रों की संख्या दोगुनी (46) हो जाती है। इसे द्विगुणित कहा जाता है। जब ऐसा होता है, अंडे से ज़ोना पेलुसीडा युग्मन के चारोओर एक मोटी परत बनाते है जो एक से अधिक शुक्राणु को निषेचित करने से रोकते है। यह युग्मनज मोरुला में बनता है और फिर ब्लास्टोसिस्ट में बनता है। इसके बाद ब्लास्टोसिस्ट की बाहरी परत द्वारा कोरियोनिक विली का निर्माण होता है जिसे कोरियोन कहते है।

ये विली खुद को गर्भाशय की आंतरिक दीवार से जोड़ती हैं। प्रत्यारोपण के जरिये भ्रूण को गर्भाशय से जोड़ा जाता है। बढ़ते हुए भ्रूण और मां की गर्भाशय की दीवार ऊतक नाल (placenta) का निर्माण करते है। प्लेसेंटा भ्रूण को उसके जन्म तक पोषण प्रदान करने का काम करता है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों गर्भाशय के अंदर ऊतक नाल और भ्रूण को बनाए रखने में मदद करता हैं। मनुष्यों के लिए गर्भावस्था की सामान्य अवधि 38 सप्ताह है, जो 9 महीने से थोड़ा अधिक होती है।

इस अवधि के अंत होने पर हार्मोनो के प्रभाव के कारण गर्भाशय का संकुचन शुरू हो जाता हैं । इसका प्रमुख हार्मोन ऑक्सीटोसिन है। यह गर्भाशय ग्रीवा को प्रभावित करता है और बच्चे को मां के शरीर से बाहर निकालने में मदद करते है। बच्चो के जन्म के समय गर्भनाल को भी बच्चे के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।

अगले माहवारी से माँ के हार्मोन वापस सामान्य स्थिति में आ जाता हैं।

प्रत्येक अंडाशय बारी बारी माध्यमिक डिम्बाणुजनकोशिका (oocyte) को निकालता है, फैलोपियन ट्यूब इसे गर्भाशय तक पहुंचाता है। अंडाशय की सतह को कॉर्पस ल्यूटियम कहा जाता है। यह प्रोजेस्टेरोन निकालता है। यदि अंडे को निषेचित नहीं किया जाता है, तो कोरपस ल्यूटियम 14 दिनों के बाद टूट जाता है और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिर जाता है।

यह गर्भाशय अस्तर के विघटन का कारण बनता है जिसे मासिक चक्र कहा जाता है। यदि निषेचन होता है, तो कॉर्पस ल्यूटियम रहता है और गर्भाशय अस्तर का विघटन नहीं होता है। गर्भाशय भ्रूण के आरोपण के लिए तैयार करता है।



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